भारत में मसीहियों पर हो रहे अत्याचार: कैसे करें बाइबल आधारित और कानूनी प्रतिक्रिया?

मसीही सताव भारत में, भारत में ईसाइयों पर अत्याचार, धार्मिक स्वतंत्रता भारत में
भारत में मसीहियों पर अत्याचार

मसीही सताव भारत में, भारत में ईसाइयों पर अत्याचार, धार्मिक स्वतंत्रता भारत में

भारत एक बहुधर्मी (Secular) और लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और प्रचार करने की आज़ादी है। फिर भी हाल के वर्षों में मसीही समुदाय पर अत्याचार, हिंसा, झूठे आरोप, और सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। भारत में मसीही सताव के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आए दिन समाचारों में ऐसे मामले सामने आते हैं जहाँ मसीही समुदाय को केवल उनके विश्वास के लिए मारा-पीटा, झूठे आरोपों में फंसाया या सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जाता है। ऐसे कठिन समय में हमें यह समझने की आवश्यकता है कि एक मसीही और एक भारतीय नागरिक होने के नाते हमारी प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए — न केवल भावनात्मक, बल्कि बाइबल आधारित और कानूनी रूप से सशक्त। एक मसीही और एक भारतीय नागरिक होने के नाते, हमें समझना चाहिए कि हमें बाइबल क्या सिखाती है, और भारतीय कानून में हमें क्या अधिकार मिलते हैं। बाइबल के अनुसार मसीही सताव का सामना कैसे करें?

मसीही सताव का अर्थ

मसीही सताव उस स्थिति को कहा जाता है जब कोई व्यक्ति केवल इस कारण से कष्ट या भेदभाव का सामना करता है कि वह प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करता है और बाइबल के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने का प्रयास करता है। यह सताव विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है — जैसे मानसिक उत्पीड़न, भावनात्मक दबाव, शारीरिक हिंसा, सामाजिक बहिष्कार या आर्थिक नुकसान। जब किसी मसीही को उसके विश्वास के कारण किसी व्यक्ति, समूह या व्यवस्था द्वारा जानबूझकर प्रताड़ित किया जाता है, तो वह मसीही सताव की श्रेणी में आता है।

भारत में ईसाइयों पर अत्याचार की घटनाएं

भारत में मसीही सताव का रिपोर्ट – 2024

क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में, 2024 में मसीही विश्वासियों पर अत्याचार की लगभग 850 घटनाएँ दर्ज की गईं?
जी हाँ, United Christian Forum (UCF) और Evangelical Fellowship of India (EFI) की रिपोर्ट के अनुसार, ये कोई गिनती की भूल नहीं है — ये हकीकत है। और हैरान करने वाली बात यह है कि ये सिर्फ वे घटनाएँ हैं जो सामने आ सकीं। कितनी ही घटनाएं ऐसी हैं जो चुपचाप दबा दी गईं, जिनकी खबर किसी संस्था या मीडिया तक कभी पहुँची ही नहीं।

लेकिन इससे भी अधिक चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि इतने गंभीर मामलों में सिर्फ 47 बार FIR दर्ज हुई
सिर्फ सैंतालीस! The News Minute, efionline.org, Maktoob media

5 राज्य जहाँ सबसे अधिक सताव का हुआ (2024 Report)

  1. Uttar Pradesh: 209 incidents
  2. Chhattisgarh: 165 incidents
  3. Rajasthan: 40 incidents
  4. Punjab: 38 incidents
  5. Haryana: 34 incidents

अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक में क्लिक करे और स्वयं देखे और सोचे – ( Tahmina Arora , efionline.org, Evangelical Focus, efionline.org, Radiance News)

बाइबल के अनुसार मसीही सताव का सामना कैसे करें?

मसीहियों के लिए कुछ व्यवहारिक बाइबल आधारित कदम:
  1. प्रार्थना करें
    “अपने सताने वालों के लिये आशीर्वाद मांगो; आशीर्वाद मांगो, श्राप न दो।” — रोमियों 12:14. “परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो, और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।” — मत्ती 5:44
    ये वचन केवल धार्मिक सुझाव नहीं हैं — ये प्रभु यीशु मसीह का सीधा आदेश है। जब कोई हमें सताता है, हमसे द्वेष करता है या झूठे आरोप लगाता है, तो स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है बदला लेना या गुस्सा में श्राप अथवा गाली देना। लेकिन यीशु की शिक्षाएं उलटी दिशा में ले जाती हैं — जहां दुनिया बदला सिखाती है, वहां यीशु प्रार्थना और प्रेम सिखाते हैं।

2. शांति बनाए रखे एवं न्याय परमेश्वर पर छोड़े
शांति बनाए रखना मतलब यह नहीं है कि चुपचाप अन्याय को सहते रहें। इसका अर्थ यह है कि हमारी प्रतिक्रिया उग्र, हिंसक या द्वेषपूर्ण न हो। हमारी आत्मा और मन में क्रोध और कटुता के स्थान पर प्रार्थना और करुणा हो। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं यीशु मसीह हैं, जिन्होंने क्रूस पर चढ़ाए जाते समय कहा: “हे पिता, इन्हें क्षमा कर; क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।” — लूका 23:34

3. धैर्य और विश्वास में स्थिर रहें
यहाँ “धर्म के कारण सताए जाना” का अर्थ है — जब कोई व्यक्ति केवल इसलिए सताया जाए क्योंकि वह बाइबल की सच्चाइयों पर खड़ा है, ईमानदारी से जीवन जीता है, सच्चाई को थामे हुए है और प्रभु यीशु मसीह के लिए गवाही दे रहा है। ऐसे लोगों को यीशु “धन्य” कहते हैं — यानी अत्यंत आशीषित, परमेश्वर की विशेष कृपा में।

स्थिर रहना क्यों ज़रूरी है? – जब मसीही विश्वासी सताव का सामना करता है, तब शैतान का सबसे पहला प्रयास यही होता है कि वह उसका विश्वास डगमगाए, वह हार मान ले, डर जाए या समझौता कर ले। लेकिन प्रभु यीशु मसीह हमें धैर्यपूर्वक स्थिर रहने का आह्वान देते हैं, क्योंकि जो अंत तक धीरज धरे रहेंगे उसी का उद्धार होगा। (मत्ती 24:13) मसीही विश्वास में मजबूती से खड़े रहना ही असली विश्वास का प्रमाण है। धीरज से आत्मिक परिपक्वता आती है। (याकू 5:3-5)

4. मसीही एकजुटता
सताव की खबर अन्य मसिहियों को भी दे। उनको प्रार्थना करने के लिए कहें। ऐसे समय में अलग अलग चर्च और डिनॉमिनेशन की बात नहीं करे बल्कि एक जुट हो जाए। सताव के समय सहायता करने वाली संस्थाओ जैसे – Persecution Relief, AD, EFI इत्यादि को भी बताए। आगे उनके निर्देशानुसार करे। (1 कुरिन्थियों 12:26)
2005 में जब घाटशिला में क्रिश्चियन लोगों को सताया जा रहा था तब मैं भी कुछ पास्टर के साथ उनसे मिलने गया था। उनका संघर्ष की गवाही सुना। वचनों से उत्साहित किया।

5. मसीहियों के लिए कुछ व्यवहारिक बाइबल आधारित कदम:

  • लगातार प्रार्थना सभा आयोजित करें।
  • जो पीड़ित हैं, उनकी आर्थिक और कानूनी मदद करें।
  • सरकार और प्रशासन से संवाद रखें पर विरोध हिंसक या उत्तेजक न हो।
  • मीडिया के माध्यम से सच्चाई को शांतिपूर्वक साझा करें।
  • परमेश्वर में विश्वास बनाए रखें कि वह सब कुछ देख रहा है और न्याय करेगा।

भारत का संविधान और मसीहियों के कानूनी अधिकार

सताव के समय इन संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करे

अनुच्छेद 25: “हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है — किसी भी धर्म को मानने, उसका अभ्यास करने और प्रचार करने का।”

अनुच्छेद 14: “कानून के समक्ष सभी समान हैं। सभी नागरिकों को कानून का समान संरक्षण प्राप्त है।”

अनुच्छेद 19(1)(a): “हर व्यक्ति को अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।”

अनुच्छेद 21: “हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है।”

भारतीय कानून में सुरक्षा

IPC धारा 153A:

धर्म के आधार पर द्वेष फैलाने वालों के खिलाफ। यदि कोई व्यक्ति या समूह किसी धर्म या जाति के खिलाफ हिंसा या प्रदर्शन को बढ़ावा देता है, तो उसके खिलाफ भी धारा 153A के तहत कार्रवाई की जा सकती है। •यह धारा सार्वजनिक शांति बनाए रखने और विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। धारा 153A के तहत दोषी पाए जाने पर सजा 3 साल तक के कारावास, जुर्माना, या दोनों हो सकती है।

IPC धारा 295A:

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की मंशा से अपमान करने पर सजा। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी भी धर्म या धार्मिक समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने या भड़काने के लिए कोई कृत्य करता है, तो उसे सजा मिल सकती है। यह धारा धार्मिक स्वतंत्रता और सद्भाव को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

SC/ST Atrocities Act:

अनुसूचित जाति और जनजाति के मसीहियों पर अत्याचार होने पर विशेष सुरक्षा। यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति को एससी/एसटी के सदस्यों के विरुद्ध अत्याचार करने से रोकता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो. यह अधिनियम मसीही समुदाय के एससी/एसटी सदस्यों को भी विशेष सुरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि वे भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आते हैं।

जब आप पर जबरन धर्मांतरण का झूठा आरोप लगे और भीड़ आपको पीटे — तब क्या करें?

दोस्तों, सताव हो तो आप व्यक्तिगत रूप से प्रार्थना करते हुए परमेश्वर से मार्गदर्शन माँगे। अगर पवित्रात्मा आपको सताव सहने के लिए या जेल में मसीह यीशु का गवाह बनने के लिए इत्यादि अगुवाई करता है तो उसके अनुसार ही करे क्योंकि कभी कभी परमेश्वर अपने लोगों का इस्तेमाल इस तरह से करता है। अगर उस समय पवित्रात्मा आपको इन सबसे बचने के लिए अगुवाई करता है तो इन बातों को समझदारी पूर्वक करे।

1. तुरंत 100 पर कॉल करें

पुलिस को तुरंत सूचना दें। जब आप पीटे जा रहे हैं, तो अपने या किसी के मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड करने का प्रयास करें। यह आपके बचाव में सबूत बनेगा।

2. FIR दर्ज कराएँ

आपके साथ मारपीट और झूठा आरोप लगाना कानूनन अपराध है। IPC की धारा 323 (मारपीट), 506 (धमकी), 341 (रास्ता रोकना), और 153A (धर्म के आधार पर द्वेष फैलाना) के अंतर्गत FIR दर्ज कर सकते हैं।

3. किसी मसीही कानूनी संगठन से संपर्क करें

ADF India, UCF, या EFI Legal Aid, Persecution Relief — ये संस्थाएँ कानूनी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। आप उनको संपर्क करे।

4. स्वतंत्र गवाहों और वीडियो साक्ष्यों को एकत्र करें

जो भी व्यक्ति घटना के समय वहाँ थे, उनकी गवाही लिखित रूप में लें। CCTV फुटेज या मोबाइल वीडियो बेहद महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। इन सबको इकठ्ठा करे जैसे – चोट के निशान के फोटो, कोई ऐसा चीज जिसका इस्तेमाल करके चोटिल किया गया, जिन लोगों को आप पहचानते हो उनका नाम और पता (फेसबूक आई डी) इत्यादि।

5. सोशल मीडिया और अन्य मीडिया के माध्यम से सत्य साझा करें

किसी मसीही मीडिया संगठन के साथ घटना की सच्चाई साझा करें। लेकिन भाषा में संयम रखें। झूठे प्रचार के विरुद्ध सच्चाई का प्रचार करें।

निष्कर्ष

मसीहियत इस बात के लिए जाना जाता है – प्रेम, क्षमा और सत्य। आज जब हमारे देश में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, तब एक सच्चे मसीही के रूप में हमें बाइबल के निर्देशों का पालन करते हुए धैर्य, प्रार्थना और विवेक के साथ प्रतिक्रिया करनी चाहिए।

साथ ही, एक जागरूक नागरिक के रूप में हमें अपने संवैधानिक और कानूनी अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए ताकि हम न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी न्याय प्राप्त कर सकें।

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