एक भाई ने मुझे कॉल करके बताया कि वह तीन चर्च में गया। उसने उन तीनों चर्च में कुछ गड़बड़ी देखा। उसके बाद से वह चर्च जाना ही छोड़ दिया। आज हम जानेंगे कि एक अच्छे चर्च की 10 खासियत क्या है? मैं कौन सा चर्च जाऊं इस सवाल का जवाब यहां मिलेगा।
कौन सा चर्च जाऊं?
- कौन सा चर्च जाऊं?
- चर्च क्या है?
- मैं कौन सा चर्च जाऊँ? कैसे पता लगाऊं?
- 1. कोई चर्च परफेक्ट नहीं है
- 2.चर्च का क्या उद्देश्य है?
- 3.क्या चर्च पैसे पर केंद्रित है?
- 4. त्रिएक परमेश्वर पर विश्वास है कि नही?
- 5. बाईबल की 66 पुस्तकों पर विश्वास
- 6. भले कार्यों में ज्यादा जोर
- 7. पवित्रात्मा पर सही विश्वास
- 8. यीशु के दुबारा आगमन पर विश्वास
- 9. सुसमाचार प्रचार
- 10. ऑफलाइन स्थानीय चर्च
उसने मुझ से पूछा – “भाई जॉन, मुझे किस चर्च में जाना चाहिए ? कौन सा चर्च आदर्श चर्च है?” आज कल कई लोग ऑनलाइन सुसमाचार सुनते हैं और आशीष पाते हैं। उसके बाद वे अपने शहर में स्थानीय चर्च की तलाश करते हैं। अक्सर नए विश्वासी इस दुविधा में नजर आते हैं। वे इस सवाल से झुझते रहते हैं – मैं कौन सा चर्च जाऊँ? हमें डर लगा रहता है कि कहीं जिस चर्च में मैं जाने के बारे में सोच रहा हूँ वह कोई कल्ट चर्च या झूठा मसीही पंथ तो नहीं है न? आखिर कैसे पता चलेगा कि यह चर्च सही में अच्छा है? आपके इस सवाल का जबाब यहाँ है। कृपया इस लेख को पूरा पढ़े अन्यथा हो सकता है आप को गलतफहमी हो जाए।
चर्च क्या है?
चर्च क्या है? चर्च क्या नहीं है? दोस्तों, बाईबल हमें दो तरह का चर्च के बारे में बताता है –
(a) विश्वव्यापी कलिसिया (Universal Church)
(b) स्थानीय कलिसिया ( Local Church)
(a) विश्वव्यापी कलिसिया – कोई भी व्यक्ति जो प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता, परमेश्वर और प्रभु करके ग्रहण किया है उसके अंदर पवित्रात्मा परमेश्वर वास करता है। वह परमेश्वर का मंदिर बन जाता है। उद्धार प्राप्त व्यक्ति परमेश्वर का अदृश्य कलिसिया का एक अंग है। वह स्वयं एक चर्च बन जाता है। साधारण शब्दों में – एक ऐसा व्यक्ति जो किसी भी जाति-धर्म का पृष्ठभूमि का है और वह प्रभु यीशु को ग्रहण किया है वह विश्वासी स्वयं एक चर्च है।
(b) स्थानीय कलिसिया – याद रखे – कोई भी बिल्डिंग या बड़ा चर्च का मकान चर्च नहीं होता है। परमेश्वर ने हमारे आत्मिक उन्नति और उसकी आराधना के लिए स्थानीय चर्च को स्थापित किया है। स्थानीय चर्च अर्थात – ऐसा चर्च जहाँ यीशु मसीह पर विश्वास करने वाले लोग एक जगह जमा होते हैं। वह कोई स्थान या शहर का कोई घर या कोई बिल्डिंग हो सकता है। ऐसे स्थानों में विश्वासी रविवार को एक साथ मिल कर परमेश्वर की आराधना करते, प्रभुभोज अनुष्ठान करते, वचन की शिक्षा सुनते हैं। इस तरह का संगति में एक दूसरे का निर्माण होता है। यह ऑनलाइन नहीं किन्तु ऑफलाइन होता है।
मैं कौन सा चर्च जाऊँ? कैसे पता लगाऊं?
मैं किस चर्च में जाऊँ? बढ़िया चर्च की 10 खासियत इस सवाल का जबाब जानने के लिए आपको अपने शहर में कम से कम 3 चर्च में जाकर इन बातों को पता करने की कोशिश करनी चाहिए। आप इन बातों को किसी पुराने स्थानीय मसीही विश्वासी से भी मालूम कर सकते हो।
1. कोई चर्च परफेक्ट नहीं है
इस बात को जान लीजिए कि कोई भी स्थानीय चर्च परफेक्ट या एकदम उत्तम नहीं है। हर चर्च में कोई न कोई कमी होता है। इसीलिए कृपया परफेक्ट उत्तम चर्च खोजना बंद करे।
2.चर्च का क्या उद्देश्य है?
क्या उस चर्च का कुछ उदेश्य है? कलिसिया उदेश्य द्वारा संचालित होना चाहिए। उदेश्य विहीन कलिसिया उन्नति नहीं करता है।
3.क्या चर्च पैसे पर केंद्रित है?
क्या वह चर्च में अधिकांशता रुपया – पैसा का ही बात होता है? अगर वहाँ विश्वासियों को प्रार्थना किया हुआ तेल, पानी, रुमाल, ब्रेसलेट, यरदन नदी का जल, जैतून का का तेल इत्यादि बेचा जाता है तो उस कलिसिया में मत जाना। ध्यान रखे – चर्च का उदेश्य बिजनस करना नहीं है। अगर चर्च के पास्टर से मिलने के लिए आपको रुपया देकर अपॉइंटमेंट लेना होता है तो ऐसी कलिसिया में बिल्कुल मत जाना।
4. त्रिएक परमेश्वर पर विश्वास है कि नही?
क्या वह कलिसिया त्रिएक परमेश्वर पर विश्वास करता है? हम विश्वास करते हैं – पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर और पवित्रात्मा परमेश्वर पर। अगर वह चर्च केवल यहोवा परमेश्वर या केवल प्रभु यीशु मसीह को मानता है तो सावधान, ऐसे चर्च में बिल्कुल मत जाना।
5. बाईबल की 66 पुस्तकों पर विश्वास
क्या वह कलिसिया बाईबल की 66 पुस्तकों पर विश्वास करता है? हम विश्वास करते हैं कि सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र 66 पुस्तकें पवित्रात्मा परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है। पवित्र बाईबल का हरेक शब्द परमेश्वर का वचन है। अगर कोई चर्च बाईबल की 66 पुस्तकों से अधिक पर विश्वास करता है तो ऐसे चर्च में मत जाना। अगर कोई चर्च 66 पुस्तकों के अलावा किसी और पुस्तक से भी शिक्षा देता है तो उस चर्च में मत जाना। झूठा मसीही पंथ का एक प्रसिद्ध पुस्तक – “वचन देह में प्रगट होता है” बिल्कुल मत पढ़ना।
6. भले कार्यों में ज्यादा जोर
हम उद्धार पाते हैं- पापों का पश्चाताप द्वारा परमेश्वर अनुग्रह और प्रभु यीशु पर विश्वास करने के द्वारा। क्या वह कलिसिया ऐसा विश्वास करता है? अगर वह चर्च उद्धार के लिए विश्वास के साथ साथ भला/धार्मिक कार्य करने पर जोर देता है तो उस चर्च में मत जाना।
7. पवित्रात्मा पर सही विश्वास
पवित्रात्मा एक व्यक्ति है जिसमें भावना, ईच्छा और बुद्धि है। पवित्रात्मा एक शक्ति या एनर्जी मात्र नहीं है। वह चर्च पवित्रात्मा के बारे में क्या विश्वास करता है? अगर वह चर्च पवित्रात्मा को मिखायल स्वर्गदूत या शक्ति मानता है तो उस चर्च में मत जाना।
8. यीशु के दुबारा आगमन पर विश्वास
क्या वह कलिसिया राजा यीशु मसीह का द्वितीय आगमन का इंतजार कर रहा है? या फिर कलिसिया मानती है कि प्रभु यीशु मसीह दोबारा या चुके हैं? अगर वे यह मानते हैं कि प्रभु यीशु मसीह का दोबारा आगमन हो चुका है तो उस चर्च में मत जाना। हम अब भी प्रभु यीशु मसीह का इंतजार कर रहे हैं।
9. सुसमाचार प्रचार
क्या वह कलिसिया सुसमाचार प्रचार करने पर जोर देता है? क्या वह कलिसिया अपने विश्वासियों को सिखाता है कि किस प्रकार से दूसरों को सुसमाचार प्रचार करना चाहिए? अगर वह चर्च सुसमाचार प्रचार पर अधिक जोर देता है तो उस कलिसिया में जरूर जाओ। ऐसा चर्च जिसमें अन्य लोगों को भी नरक में नाश होने से बचाने के लिए कोशिश किया जाता है उस चर्च में जाओ।
10. ऑफलाइन स्थानीय चर्च
दोस्तों, कृपया इधर ध्यान दीजिए। ऑनलाइन चर्च से अधिक उत्तम ऑफलाइन स्थानीय चर्च है। कृपया स्थानीय चर्च से जुड़े। सदस्यता ले। सक्रिय रूप से चर्च के कार्यक्रमों में हिस्सा लें। अगर चर्च संबंधित कोई जिम्मेदारी मिले तो तन-मन से करें। आप स्थानीय चर्च और उसके विश्वासियों के लिए आशीष का कारण बने। अमीन!