दोस्तों, अक्सर क्रिश्चियन यूथ इन पाँच गलतियों को करते हैं जिनसे भविष्य में उनको और मसीही समाज को नुकसान होता है। यदि आपको मालूम हो जाए कि क्या क्या वो गलतियाँ हैं तो हो सकता है कि आपके साथ वो बड़ा नुकसान न हो। इन पाँच मुख्य बातों को आपको जानना बहुत जरूरी है। यह आपके जीवन से जुड़ी बातें हैं क्योंकि हर मसीही जवान इन गलतियों के आस – पास से जरूर गुजरता है। कोई तो गिर कर फँस जाता है तो कोई किसी तरह उस चंगुल से निकल जाता है।
तो आइए जानते हैं उन 5 गलतियाँ, जो अक्सर मसीही युवा करते हैं, और जिनसे आपको बचना चाहिए। आप इस कहानी को ध्यान से पढ़े और नीचे दिये गए सवालों का जबाब देने की कोशिश करे।
केस स्टडी (कहानी) –
बबलू मध्यम वर्गीय क्रिश्चियन परिवार से था। गोल चेहरा और स्पोर्टी शरीर वाला लंबा लड़का। दिखने में ठीक-ठाक हेंडसम था। थोड़ा शर्मिला था। जल्दी किसी से घुलता मिलता नहीं था। वह राँची यूनिवर्सिटी में B.Sc की पढ़ाई कर रहा था। वह हर दिन 2 घंटे के लिए ट्यूशन भी जाता था। उसको फ्री फायर और चिकन डिनर वाला गेम खेलना पसंद था। उसको चर्च जाने में मन नहीं लगता था लेकिन फिर भी मम्मी के कहने पर महीना में एक संडे चर्च जाता था। वह सरकारी नौकरी करना चाहता था इसीलिए पढ़ाई में बहुत ध्यान देता था।
कॉलेज के दूसरे वर्ष में उसको एक लड़की से प्यार हो गया। दोनों में बातें हुई। दोस्ती हुई। फिर डेटिंग शुरू हुई। अब वह मोबाईल गेम खेलने के समय पर अपनी गर्लफ्रेंड से ही चैट करने में लगा रहता था। सरकारी नौकरी की तैयारी से संबंधित अखबार और गाइड भी कभी-कभार पढ़ता था। कभी-कभी पूरी रात व्हाट्सअप में चैट करते बीत जाता था। अब वो ज्यादातर उस लड़की के ख्वाबों ख्यालों में खोया रहता था। सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए जुनून कहीं गुम हो गया था। अब घर में झूठ बोल कर गर्लफ्रेंड को घुमाने के लिए पैसे मांगने लगा। उसे ऐसी लाइफ मस्त लग रही थी। पढ़ाई में कम मन लगता था। नतीजतन, उसका फाइनल सेमेस्टर का रिजल्ट उतना अच्छा नहीं हुआ। घर में पापा – मम्मी का डाँट सुनना पड़ा। अब तक घर में बहन और मम्मी को उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में पता चल चुका था।
बबलू ने एक साल किसी तरह प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की और धड़ा-धड़ 4 अलग अलग परीक्षा दे डाला। लेकिन किसी में भी उत्तीर्ण नहीं हो सका। दो साल के बाद एक प्रतियोगिता परीक्षा में लिखित इग्ज़ैम में पास हो गया। लेकिन इंटरव्यू में फेल हो गया। इसी तरह 4 साल सरकारी नौकरी पाने की कोशिश में बेकार चला गया। अब उसका गर्लफ्रेंड से भी झगड़ा होता रहता है। वह हताश निराश रहता है।
बबलू की कहानी पढ़ते समय क्या आपको उसका जीवन में कुछ गलतियाँ दिखाई दिया? आइये कुछ सीखने की कोशिश करते हैं। आप इन सवालों को पढ़े। जरा ठहर कर सोचे। फिर इनमें से किसी एक सवाल का जबाब आप हमें कमेन्ट कर के जरूर बताये।
- बबलू का एकलौता हॉबी था – मोबाईल में गेम खेलना। इस हॉबी के बारे में आपका क्या विचार है?
- उसक मन चर्च या मसीही संगति में नहीं लगता था। केवल महीना में एक बार चर्च जाता था। आपके विचार से बबलू पर इसका क्या नुकसान हुआ?
- उसका प्यार कॉलेज की पढ़ाई के आखरी वर्ष में परवान चढ़ रहा था। मोहब्बत में दीवाना। मान लो कि आप बबलू के फ्रेंड हो। तो ऐसे में आप उसको क्या सलाह देते?
- वह केवल सरकारी नौकरी पाने का सपना देख कर पढ़ाई किया। और 4 अलग अलग तरह का प्रतियोगिता इग्ज़ैम दिया। 4 साल से अब तक कोशिश कर रहा है। आप अपने फ्रेंड को क्या कहना चाहोगे?
अरे अरे ! रुको जरा ! अब तक हमने उन 5 गलतियाँ जो अक्सर मसीही युवा करते हैं, के बारे में चर्चा नहीं किया है जो अक्सर क्रिश्चियन युवा करते हैं। तो आइये, अब हम बात करेंगे उन पाँच गलतियों के बारे में जिनसे आपको सावधान रहना चाहिए।
कॉलेज की पढ़ाई करते समय ही जीवन साथी ढूँढने में समय बर्बाद करना –
कॉलेज के दिनों में कोई लड़का या लड़की पसंद आना या अच्छा लगना स्वाभाविक है। ऐसा अक्सर बहुतों के साथ होता है। लेकिन अगर हम अपनी भावनाओं के पंख नहीं काटे तो फिर भयंकर फँसेंगे। दिल दिमाग का दही हो जाएगा। पढ़ाई और करियर में हमारा फोकस कम हो जायेगा। इग्ज़ैम में बैक लगना। डेटिंग के खर्चे में बेतहासा इजाफ़ा। अनचाहा प्रेग्नेंसी। गर्भपात। बदनामी। फिर अंत में परिणाम बद से बदतर होगा। जरा ठहर कर सोचे। आपकी लाइफ कैसी चल रही है?
केवल सरकारी नौकरी के पीछे भागना
दोस्तों, जर्मनी और कनाडा जैसे विकसित देशों में लोग सरकारी नौकरी के पीछे वैसे नहीं भागते हैं जैसे हम भारतीय युवा भागते हैं। ऐसा क्यों? क्योंकि वहाँ हर काम को आदर के दृष्टिकोण से देखा जाता है। कोई भी काम बस काम होता है – छोटा या बड़ा काम नहीं होता है। वहाँ वर्क सिस्टम अच्छा है। प्राइवेट नौकरी में भी ठीक-ठाक सैलरी मिलती है। हम अधिकतर कॉलेज में थ्योरी की पढ़ाई करते हैं। व्यवहारिक जीवन में काम करने के लिए स्किल या योग्यता को विकसित करने के लिए उतना ध्यान नहीं देते हैं। अपनी आँखे खोलो। सरकारी नौकरी के अलावा भी कई नौकरी और बिजनस की आपार संभावनाएं हैं। बस हमें जीवन में उन्नति करते जाना है।
चर्च या साप्ताहिक मसीही संगति नहीं जाना
दोस्तों, हम में से अधिकांश लोगों का मन चर्च जाने जैसे धार्मिक कामों में नहीं लगता है। यही सच है। लेकिन फिर भी हमें हर संडे चर्च जाना चाहिए। अगर आपके शहर में कोई साप्ताहिक मसीही संगति होता है तो उसमें भी जाना चाहिए। ऐसा करने से आपको ही फायदा होगा। पूछो कैसे? आप इस तरह का संगति में लोगों से बात करना सीखोगे। ग्रुप डिस्कशन और डिबेट करना, अपने विचारों को खुल कर रखने का तरीका इत्यादि सीखोगे। परिणाम स्वरूप आपका व्यक्तित्व का विकास होगा। आप प्रतियोगिता इग्ज़ैम का इंटरव्यू में नहीं घबराओगे। यह संगति आपको पाप के तरफ भटकने से बचाएगा। आपको अच्छे मसीही फ्रेंड मिलेंगे। जहाँ आप एक दूसरे का ख्याल रखोगे और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनोगे।
पढ़ाई और चर्च / संस्था का कार्य के बीच बैलन्स नहीं कर पाना
कुछ ऐसे युवा भी होते हैं जो चर्च और अन्य संगति के कामों में पागलों की तरह बहुत व्यस्त रहते हैं। वे दिन-रात सोचते रहते हैं कि कैसे चर्च या संगति की सेवा को आगे बढ़ाये। कुछ समय के लिए यह ठीक है लेकिन लंबे समय तक यही चलते रहने से भविष्य में यह नुकसानदायक होता है। मैंने कई ऐसे युवाओं को देखा है जो अब तक बेरोजगार हैं। लोग उनको कहते हैं – “बाबू, तुम हर समय खाली मिनिस्ट्री मिनिस्ट्री करता रहता था। तेरा परमेश्वर तुमको का दिया?” सावधान! कहीं आपके साथ भी ऐसा न हो। इसीलिए हमें चाहिए कि हम पढ़ाई और संस्था के कार्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करे। हमें चाहिए कि हम परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत रूप से प्रार्थना और बाईबल पढ़ने के द्वारा अच्छा रिश्ता बनाए रखे। फिर एक स्टूडेंट होने के नाते हमारी पहली प्राथमिकता पढ़ाई/करियर होनी चाहिए। उसके बाद जो समय बचे उसमें चर्च के गतिविधियों को करने में अपना योगदान दीजिए।
अपना टैलेंट को पहचान कर उसे निखारने की ओर ध्यान नहीं देना
अगर मैं आप से पूछूँ –“आपका क्या क्या खूबी है? आप का टैलेंट के बारे में कुछ बताए?” आप सकपका जाओगे। आपको लगेगा – “अरे तेरी की! ये कैसा सवाल है?” अधिकांश युवा सरकारी नौकरी को टारगेट कर के ज्यादातर थ्योरी की पढ़ाई करते हैं। हम केवल रट्टू तोता की तरह पढ़ाकू होते हैं। यूँही समय बीतता जाता है। हमें पता ही नहीं चलता है कि हमारे अंदर क्या क्या खूबियाँ हैं। हम खुद को कभी ठीक से इक्स्प्लोर नहीं करते हैं। इसी कारण हमें अपनी ताकत और कमजोरियों का ज्ञान नहीं हो पाता है। कुछ लोगों को उनका टैलेंट या स्किल्स का पता चल जाता है। लेकिन घर बैठे सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेम खेलने में व्यस्त रहते हैं। कभी अपना समय उन स्किल्स या टैलेंट को निखारने के लिए नहीं देते हैं। इसके परिणाम स्वरूप हमारा सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है। हम में से अधिकांश अपना हॉबी के लिए समय नहीं देते हैं। उसे और अधिक निखारे और चमकाये।
दोस्तों, हमें चाहिए कि हम अपना आत्मिक वरदान या स्किल्स को पहचान कर उसे बार-बार इस्तेमाल करते रहें। चर्च के कार्यों में उन स्किल्स या योग्यताओं का इस्तेमाल करें।